Tuesday, April 30, 2013

मई दिवस पर सभी मित्रों को शुभकामना। माफ कीजिएगा, आपको भ्रम है, विश्वास है, शंका है, मुझे नहीं है। वैश्वीकरण के दौर में देश से ज्यादा धन महत्वपूर्ण है। देश प्रेम अगर बिक सकता है तब ठीक है। वैसे अब यह फिल्मों का विषय भी नहीं बन पा रहा है। कुछ मित्र चीन का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उसने दस-बीस किलोमीटर पर तंबू लगा दिया। जनाब 1962 में हजारों वर्ग किलोमीटर पर कब्जा किया, फिर उसे पाकिस्तान को बेचा भी तब आप कहां थे। क्षमा कर दें हो सकता है आप सब देश भक्त तब पैदा नहीं हुए होंगे। अब जिन्हें आप माला माल कर रहे हैं उनमें एक हैं अनिल अंबानी। नाम ही काफी है।चीन को साक्षेदार बना रखा है, चीन के तीन बैंक से सवा खरब डॉलर लोन लिया है, दो साल पहले तीन अरब लोन चीनी बैंकों से ही लिया। रिलायंस पावर ने चीन के शंघाई बिजली कंपनी से दस अरब डालर के सामान खरीदे,अनिल अंबानी भारत-चीन सीईओ फॉरम के प्रमुख भी है और इन्हें मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री जी ने नियुक्ति दी है। अब चिल्लाई चीनी-चीनी। कल 24 घंटे बिजली देने का काम चीनी यों की मदद से, सड़क बनाने का काम, स्टील और अलमुनियम बनाने का काम वे ही करेंगे। अब बताएं आप क्या करेंगे। मई दिवस पर मजदूरों की बात सुनेंगे या देश की नीति के साथ होंगे जो कहती है पूंजी वादी व्यवस्था से ही अब देश का भला हो सकता है। चीन से टकराना हो या पाकिस्तान से जूझना, श्री लंका आदि देशों का आत्मबल भारत से ज्यादा है। हम सिर्फ जीडीपी में उलझे देश हे जिसका अर्थ है गलत डवलमेंट से प्रोग्रेस। जमीन खो दो चीन के हाथो, जमीन बेच दो अमेरिका के हाथो। अब फेस बुक पर ऐलान न करें। अपनी बात कहें सच और व्यवहारिकता के घागों से जोड़कर।

No comments:

Post a Comment